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श्रृंग भस्म

श्रृंग भस्म के लाभ, औषधीय प्रयोग, मात्रा एवं दुष्प्रभाव

श्रृंग भस्म एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका उपयोग कफ निस्सारक के रूप में किया जाता है। श्रृंग भस्म के कफ निस्सारक गुण सभी आधुनिक/एलोपैथिक कफ निस्सारक औषधियों के साथ तुलनीय है। श्रृंग भस्म फुफ्फुसावरणशोथ, निमोनिया, इंफ्लुएंजा (श्‍लैष्मिक ज्‍वर), बलगम वाली खांसी, आम सर्दी, सीने में दर्द, हृद्‍शूल, जीर्ण ज्वर, तपेदिक में ज्वर, हड्डियों के विकार, सूखा रोग, पायरिया, वृक्कगोणिकाशोध आदि में लाभदायक है।

घटक द्रव्य और संरचना

श्रृंग भस्म (Shring Bhasma) का निर्माण हिरण के सींगों से किया जाता है। इस भस्म को सूखे और ठोस बारहसिंगे के शाखादार सींग के टुकड़ों से बनाया जाता है।

हालांकि, यदि परिपक्व (ठोस हड्डियों में परिवर्तित) होने से पहले प्राप्त किये जाएँ तो हिरण के सींगों का बहुत पोषक मान होता है, लेकिन आयुर्वेद में भस्म बनाने के लिए अपरिपक्व सींगों का उपयोग नहीं किया जाता है। परिपक्व सींगों में भी अच्छा पोषक मान होता है, परन्तु आयुर्वेद में भस्म बनाने के लिए निस्तापन की प्रक्रिया में इसके अधिकतर पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं और इसमें मात्र चिकित्सीय गुण रह जाते हैं।

फिर सूखे सींगों की राख को आक के क्षीर के साथ संसाधित किया जाता है और पुनः हवा की अनुपस्थिति में राख बनायीं जाती है। भस्म की अच्छी गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए इस प्रक्रिया को 3 बार दोहराया जाता है। यह प्रक्रिया इसके कफ निस्सारक गुणों को बढ़ा देती है।

रासायनिक संरचना                 

हालांकि, श्रृंग भस्म का निर्माण करने में प्रयुक्त हिरण के सींगों की रासायनिक संरचना निस्तापन की प्रक्रिया में बदल जाती है और अधिकांश पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। तब भी श्रृंग भस्म में कैल्शियम, जस्ता, मैग्नीशियम और कुछ ताप में स्थिर रहने वाले अमीनो अम्ल होते हैं। ताप में स्थिर रहने वाले एमिनो अम्ल भी निस्तापन की प्रक्रिया में कम हो जाते हैं।

औषधीय गुण

श्रृंग भस्म मुख्य रूप से कफ निस्सारक और कफ भंजक के रूप में काम करता है। श्रृंग भस्म के औषधीय गुणों की सूची नीचे दी गई है:

  1. कफ निस्सारक

  2. कफ भंजक

  3. कासरोधक

  4. जीवाणुस्तम्भन

  5. जीवाणुरोधी

  6. रोगाणुरोधी

  7. सौम्य पीड़ा-नाशक

  8. सौम्य ज्वर-नाशक

चिकित्सीय संकेत

श्रृंग भस्म को बलगम वाली खांसी, घरघराहट, छाती में कफ जमाव, सीने में जकड़न, सीने में दर्द या ज्वर के साथ जुड़े हुए श्वसन विकारों में उपयोग किया जाता है। इसके मुख्य उपचारात्मक संकेतों में शामिल है:

  1. बलगम वाली खाँसी

  2. ब्रोंकाइटिस (श्वसनीशोध)

  3. परिफुफ्फुसशोथ

  4. निमोनिया

  5. पसलियों के बीच का तंत्रिका शूल

  6. इन्फ्लुएंजा (श्‍लैष्मिक ज्‍वर)

  7. सामान्य शीत

  8. छाती में दर्द

  9. हृद्‍शूल

  10. क्षय रोग में ज्वर या जीर्ण ज्वर

  11. सूखा रोग

  12. पायरिया

  13. वृक्कगोणिकाशोध

लाभ और औषधीय उपयोग

श्रृंग भस्म मुख्य रूप से श्वसन विकारों और हड्डी संबंधी विकारों में लाभप्रद है। यह हड्डियों, जोड़ों, उपास्थि, फेफड़े और हृदय को शक्ति प्रदान करता है।

बलगम वाली खांसी                

श्रृंग भस्म फेफड़ों और सांस लेने के मार्ग को साफ करने में मदद करता है। इसका प्रयोग तब किया जाता है जब श्लेष्म स्राव को विनियमित करने की आवश्यकता होती है। आयुर्वेद में, निम्नलिखित संयोजन बलगम वाली खांसी के उपचार में सहायक होता है।

उपचारमात्रा

सितोपलादि चूर्ण (Sitopaladi Churna)2 ग्राम *

श्रृंग भस्म – Shring Bhasma125 मिलीग्राम *

टंकण भस्म (Tankan Bhasma)250 मिलीग्राम *

प्रवाल पिष्टी (Praval Pishti)125 मिलीग्राम *

* दिन में दो बार शहद के साथ

यह संयोजन कासरोधक कार्य करता है और मोटी बलगम को पिघला देता है, जिससे फेफड़ों को साफ करने में मदद मिलती है और खांसी में आराम मिलता है।

हृद्‍शूल

श्रृंग भस्म, हीरक भस्म (Heerak Bhasma) और स्वर्ण भस्म (Swarna Bhasma) आयुर्वेदिक उपचार हैं जो हृद्‍शूल और छाती के दर्द में मदद करते हैं।

श्रृंग भस्म को 5 मिलीलीटर घी के साथ उपयोग करने पर यह अकेले ही हल्के से मध्यम मामलों में मदद कर सकता है। यह संयोजन ह्रदय की मांसपेशियों में रक्त के प्रवाह में सुधार करता है और छाती में जकड़न और दर्द को कम करता है। यह छाती में दबाव को भी कम करता है। गंभीर मामलों में, हो सकता है की श्रृंग भस्म अकेले काम ना करे और निम्न संयोजन की आवश्यकता पड़ सकती है।

उपचारमात्रा

श्रृंग भस्म250 मिलीग्राम *

हीरक भस्म (Hirak Bhasma)5 मिलीग्राम *

स्वर्ण भस्म (Swarna Bhasma)10 मिलीग्राम *

पुष्करमूल250 मिलीग्राम *

प्रवाल पिष्टी (Praval Pishti)250 मिलीग्राम *

* दिन में दो बार घी के साथ

फुफ्फुसावरणशोथ (फुस्फुस के आवरण में शोथ)

फुफ्फुसावरणशोथ फुफ्फुस (फेफड़ों के आसपास पतली तरल झिल्ली) की सूजन के कारण होता है। यह छाती में तेज दर्द का कारण बनता है, जो श्वास लेते समय अधिक कष्टकर हो जाता है। फुफ्फुसावरणशोथ कई कारणों से हो सकता है। अंतर्निहित कारणों के उपचार के अलावा, आयुर्वेद में श्रृंग भस्म का उपयोग फुफ्फुसावरणशोथ के दर्द के उपचार के लिए किया जाता है। निम्नलिखित आयुर्वेदिक संयोजन फुफ्फुसावरणशोथ के दर्द के उपचार में मदद करता है।

उपचारमात्रा

श्रृंग भस्म250 मिलीग्राम *

पिप्पली चूर्ण125 मिलीग्राम *

शहद1 चम्मच *

* एक दिन में दो या तीन बार

तपेदिक में ज्वर

श्रृंग भस्म में जीवाणुओं को गतिहीन करने के गुण होते है, जिसके तपेदिक में होने की संभावना होती है। यह मायकोबैक्टीरियम टूबरकल की वृद्धि को रोकता है। हालांकि, श्रृंग भस्म तपेदिक में सहायक भूमिका निभाता है और मुख्य औषधि स्वर्ण भस्म होती है। प्रवाल पिष्टी के साथ, यह ज्वर, शरीर दर्द और दुर्बलता को कम कर देता है।

सूखा रोग

प्रवाल पिष्टी (250 मिलीग्राम) और गोदन्ती भस्म (250 मिलीग्राम) के साथ श्रृंग भस्म (125 मिलीग्राम) सूखा रोग में अस्थि स्वास्थ्य में सुधार करता है। यह बच्चे को शक्ति प्रदान करता है और समग्र विकास में सुधार करता है।

वृक्कगोणिकाशोध

श्रृंग भस्म में रोगाणुरोधी क्रिया होती है और यह मवाद को सुखाता है, जिससे गुर्दों के संक्रमण के उपचार में मदद मिलती है। इसका उपयोग वंग भस्म (Vanga Bhasma), चंद्रप्रभा वटी (Chandraprabha Vati) और चंदनासव (Chandanasava) के साथ करने से यह गुर्दों के संक्रमण, मूत्राशय संक्रमण और मूत्र में मवाद को कम करता है।

मात्रा और सेवन विधि

श्रृंग भस्म की सामान्य खुराक इस प्रकार है:

शिशु20 से 60 मिलीग्राम *

बच्चे50 से 125 मिलीग्राम *

वयस्क125 से 375 मिलीग्राम *

गर्भावस्था50 से 125 मिलीग्राम *

वृद्धावस्था125 से 250 मिलीग्राम *

अधिकतम संभावित खुराक (प्रति दिन या 24 घंटों में)750 मिलीग्राम (विभाजित मात्रा में)

* दिन में दो बार निम्नलिखित सह-औषधि के साथ

सर्वश्रेष्ठ सह-औषधि

स्थितिसह-औषधि

कफ निस्सारक क्रिया के लिएमिश्री = 3 ग्राम

बलगम उत्पादन कम करने के लिएशहद = 1 चम्मच

बहती नाक या पतले बलगम को कम करने के लिएपान = 1 पत्ता

फेफड़ों की समस्या के कारण छाती में दर्दपिप्पली (125 मिलीग्राम) और शहद (1 चम्मच)

हृद्‍शूलघी (5 मिलीलीटर)

तपेदिक में ज्वरप्रवाल पिष्टी (250 मिलीग्राम) और गिलोय सत्व (250 मिलीग्राम)

निम्न हड्डी घनत्व, ऑस्टियोपोरोसिस, सूखा रोगप्रवाल पिष्टी (250 मिलीग्राम) और गोदन्ती भस्म (250 मिलीग्राम)

सुरक्षा प्रोफाइल

श्रृंग भस्म, ऊपर वर्णित चिकित्सकीय खुराक में उपयोग करने पर संभवतः सुरक्षित और अच्छी तरह से सहनीय है।

दुष्प्रभाव

श्रृंग भस्म के उपयोग के साथ कोई दुष्प्रभाव नहीं देखा गया है।

विपरीत संकेत

सूखी खांसी श्रृंग भस्म का एक पूर्ण विपरीत संकेत है। यह वायु नली को सुखाता है, जिससे सूखी खांसी अधिक बिगड़ सकती है।

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