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कहरवा पिष्टी (तृणकान्तमणि पिष्टी) के लाभ, औषधीय प्रयोग, मात्रा एवं दुष्प्रभाव

कहरवा पिष्टी (जिसे तृणकांत मणि पिष्टी भी कहते हैं) एक आयुर्वेदिक खनिज है जिसे उसके हेमोस्टेटिक गुणों के कारण रक्तस्राव विकारों में उपयोग किया जाता है।

कहरवा पिष्टी ताप विकार, पेचिश, गुदा रक्तस्राव, दस्त, गर्भाशय से अत्यधिक रक्तस्राव, भारी मासिक धर्म और पेट की सूजन संबंधी बीमारियों में लाभकारी है।

घटक द्रव्य

  1. कहरवा (तृणकान्त मणि)

  2. गुलाब अर्क (गुलाब जल)

कहरवा को अर्क गुलाब के साथ संसाधित कर और घोंटकर महीन चूर्ण बनाया जाता है। कहरवा एक जीवाश्म वृक्ष राल है।

रासायनिक संरचना

कहरवा में 3 से 8% स्यूसेनिक एसिड होता है। एम्बर राल में स्यूसेनिक एसिड का गठन अभी तक अज्ञात है, लेकिन कुछ लोग मानते हैं की यह एम्बर सेलूलोज़ राल के किण्वन की प्रक्रिया के माध्यम से बनता है, जो की सूक्ष्मजीवों द्वारा प्रेरित होता है।

औषधीय गुण

कहरवा पिष्टी में निम्नलिखित उपचार के गुण होते हैं।

  1. रक्तस्रावरोधक

  2. कृमिनाशक या परजीवी नाशक

  3. स्तम्मक

  4. अम्लत्वनाशक

  5. अतालता नाशक

चिकित्सीय संकेत

कहरवा पिष्टी निम्नलिखित स्वास्थ्य स्थितियों में सहायक है।

मस्तिष्क और नसें

  • मस्तिष्क में कृमि संक्रमण

  • फीताकृमि का लार्वा रूप में संक्रमण

  • मस्तिष्क में कृमि संक्रमण के कारण सिरदर्द

ह्रदय और रक्त

  • ह्रदय में घबराहट

  • हृदक्षिपता

पाचक आरोग्य

  • जठरांत्र रक्तस्राव

  • रक्त स्राव वाला बवासीर

  • मल में रक्त आना

  • सव्रण बृहदांत्रशोथ या किसी भी सूजन की बीमारियों के कारण रक्तस्राव

महिला आरोग्य

  • गर्भाशय से अत्यधिक रक्तस्राव

  • अधिक रजोधर्म

लाभ और औषधीय उपयोग

उपरोक्त संकेतों से, हम यह समझ सकते हैं की कहरवा पिष्टी मुख्य रूप से रक्तस्राव विकारों पर काम करता है। इसलिए, हम इसका उपयोग किसी भी प्रकार के आंतरिक और बाह्य रक्तस्राव पर कर सकते हैं। यह आयुर्वेद की उन दुर्लभ दवाओं में से एक है, जो मस्तिष्क में कृमि संक्रमण या फीताकृमि के लार्वा रूप में संक्रमण में मदद करता है। अब, हम सीखेंगे की विभिन्न रोगों में इसका उपयोग कैसे करें।

मस्तिष्क में कृमि संक्रमण और उसके कारण सिरदर्द

मस्तिष्क में कृमि होने का आम कारण है फीताकृमि का लार्वा रूप में संक्रमण। इसके कारण सिरदर्द, चक्कर, हल्का बुखार, नकसीर, मुंह और नाक से दुर्गन्ध, जलन और अरुचि होती है। कहरवा पिष्टी एक शक्तिशाली कृमिनाशक के रूप में कार्य करता है और फीताकृमि के लार्वा रूप के संक्रमण को नष्ट कर देता है। इस उपचार को लेने के बाद, मस्तिष्क में कृमि वाले कई मरीजों ने नाक से कीड़े निकलने की सूचना दी है। इसके बाद सभी लक्षण कम हो जाते हैं।

ह्रदय में घबराहट और हृदक्षिपता

कहरवा पिष्टी में अतालता नाशक गुण होते हैं, जो ह्रदय की तेज धड़कन को कम करने और हृदक्षिपता का उपचार करने में मदद करते हैं। बेहतर परिणाम के लिए, निम्नलिखित उपचारात्मक संयोजन मदद करता है।

आयुर्वेदिक उपचारखुराक

कहरवा पिष्टी – Kaharva Pishti500 मिलीग्राम

मुक्ता पिष्टी – Mukta Pishti125 मिलीग्राम

प्रवाल पिष्टी – Praval Pisthi500 मिलीग्राम

अर्जुन – Arjuna (Terminalia Arjuna)1000 मिलीग्राम

सभी प्रकार के रक्तस्राव विकार

आम तौर पर, कहरवा पिष्टी रक्तस्राव को रोकती है, इसलिए यह जठरांत्र संबंधी रक्तस्राव, बवासीर में रक्तस्राव, मल में रक्त निकलना, सव्रण बृहदांत्रशोथ या किसी भी सूजन के रोगों के कारण रक्तस्राव, गर्भाशय से अत्यधिक रक्तस्राव या अधिक रजोधर्म में लाभदायक है। इन सभी विकारों में, यह शक्तिशाली हेमोस्टेटिक (रक्तस्राव रोकने वाला) एजेंट के रूप में कार्य करता है। हालांकि, इस के साथ, रोगी को निम्न उपचार की भी आवश्यकता हो सकती है।

आयुर्वेदिक उपचारखुराक

कहरवा पिष्टी500 मिलीग्राम

गिलोय सत्व – Giloy Satva500 मिलीग्राम

प्रवाल पिष्टी500 मिलीग्राम

नागकेसर1 से 3 ग्राम

मात्रा एवं सेवन विधि (Dosage)

कहरवा पिष्टी की खुराक एक दिन में दो या तीन बार 125 मिलीग्राम से 500 मिलीग्राम है या जैसा चिकित्सक द्वारा अनुशंसित हो।

सावधानी और दुष्प्रभाव

कहरवा पिष्टी अधिकांश लोगों के लिए संभवतः सुरक्षित है। इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पाया गया है। अधिक मात्रा में कहरवा की खुराक लेने से सिरदर्द हो सकता है। इसलिए, इसकी खुराक प्रति दिन 1500 मिलीग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए। यदि किसी रोगी को इसे लेने के बाद सिर में दर्द हो रहा हो, तो चिकित्सक इस सिरदर्द का उपचार करने के लिए शरबत बनफ्शा का उपयोग प्रतिकारक औषधि के रूप में कर सकते हैं। कृपया याद रखें, कहरवा केवल मस्तिष्क में कृमि संक्रमण के कारण होने वाले सिरदर्द में काम करता है। यह किसी अन्य अंतर्निहित विकृति के कारण होने वाले सिरदर्द में मदद नहीं करता है।

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