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हजरुल यहूद भस्म

हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी के लाभ, औषधीय प्रयोग, मात्रा एवं दुष्प्रभाव

हजरुल यहूद भस्म (जिसे संगे यहूद भस्म, बेर पत्थर भस्म, बदरशमा भस्म, हज़रुल यहूद भस्म या कैलक्लाइंड लाइम सिलिकेट के रूप में भी जाना जाता है) एक आयुर्वेदिक-निस्तापित औषधि है, जिसका उपयोग गुर्दे की पथरी, मूत्रकृच्छता और वृक्‍कशूल में किया जाता है। हजरुल यहूद की पिष्टी भी बनाई जाती है जिसे हजरुल यहूद पिष्टी या बेर पत्थर पिष्टी कहा जाता है।

घटक द्रव्य (संरचना)

हजरुल यहूद एक प्रकार का पत्थर है, जिसे बेर पत्थर भी कहा जाता है। ये पत्थर जीवाश्म पत्थर होते हैं। इन पत्थरों की मुख्य संरचना लाइम सिलिकेट्स है।

औषधीय गुण

हजरुल यहूद भस्म में निम्नलिखित मुख्य स्वास्थ्य और चिकित्सीय गुण हैं।

  • मूत्रवर्धक

  • पथरी गलाने वाला (गुर्दे या मूत्राशय में पथरी घुलाना)

  • कण्डूरोधी (खाजनाशक) (हजरुल यहूद भस्म से बना धूलिमार्जन चूर्ण)

  • पीड़ानाशक (वृक्‍कशूल में प्रभावी)

आयुर्वेदिक गुण

क्षमता – वीर्यशीत

चिकित्सीय प्रभावमूत्रवधक और पथरी गलाने वाला

दोष कर्मकफ (KAPHA)और पित्त (PITTA)को शांत करता है

अंगों पर प्रभावगुर्दा, मूत्राशय, त्वचा

चिकित्सीय संकेत

चिकित्सकीय रूप में, हजरुल यहूद भस्म का उपयोग निम्नलिखित स्वास्थ्य की स्थितियों में किया जाता है।

आंतरिक उपयोग

  1. गुर्दे की पथरी

  2. मूत्र प्रतिधारण (मूत्राशय पूरी तरह से खाली करने में अक्षमता)

  3. पेशाब में जलन

  4. वृक्‍कशूल

बाहरी उपयोग

निम्नलिखित त्वचा की बीमारियों के लिए हजरुल यहूद भस्म से तैयार धूलिमार्जन चूर्ण का उपयोग त्वचा पर किया जाता है।

  1. खुजली

  2. दाद

  3. चकत्ते या ददोड़े

लाभ और औषधीय उपयोग

हजरुल यहूद भस्म एवं हजरुल यहूद पिष्टी मुख्य रूप से वृक रोग में उपयोग होने वाली औषिध हैं। यह वृक्‍कशूल की उत्तम दवा है। इसके मुख्य प्रयोग निम्नलिखित है: –

गुर्दे की पथरी और वृक्‍कशूल

हजरुल यहूद भस्म शरीर में पथरी गलाने वाली और मूत्रवर्धक क्रिया करती है, जो मूत्रवाही के दौरान गुर्दे की पथरी को गलाने और धकेलने में मदद करती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें पीड़ानाशक गुण भी हैं, जो पहली 2 से 3 खुराक के भीतर ही वृक्‍कशूल को कम कर देता है। हजरुल यहूद भस्म निम्नलिखित लक्षणों को कम कर देता है:

  • वृक्‍कशूल (गुर्दे की पथरी के कारण दर्द)

  • मूत्र में जलन

  • पेशाब में जलन (मुश्किल से या दर्दनाक पेशाब होना)

क्रिस्टल्यूरिया (मूत्र में क्रिस्टल निकलना)

क्रिस्टल्यूरिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें क्रिस्टल मूत्र में पाए जाते हैं। यह मूत्र में पथरी या कुछ दवाइयों के दुष्प्रभाव के कारण होता है। क्रिस्टल्यूरिया का कारण पेनिसिलिन और सल्फोमामाइड जैसी दवाएं हैं।इस स्थिति में हजरुल यहूद भस्म के साथ चंद्रप्रभा वटी (Chandraprabha Vati) लाभ प्रदान करती है। इन उपायों का एक महीने का कोर्स क्रिस्टल्यूरिया को समाप्त करता है। यदि क्रिस्टल्यूरिया की बार-बार पुनरावृत्ति होती है, तो इन उपायों का कम से कम तीन महीने तक का कोर्स किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, उपचार में चंदनासव का उपयोग भी सह-औषध के रूप में लाभ देता है।

मात्रा एवं सेवन विधि (Dosage)

हजरुल यहूद भस्म की खुराक की मात्रा रोगी की स्वास्थ्य की स्थिति और आयु के अनुसार भिन्न होती है। सामान्य खुराक दिन में दो बार 250 मिलीग्राम से 500 मिलीग्राम तक होती है। हजरुल यहूद भस्म की खुराक की अधिकतम मात्रा प्रतिदिन 2 ग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए।

औषधीय मात्रा (Dosage)

न्यूनतम प्रभावी खुराक125 मिलीग्राम (बच्चों में) 250 मिलीग्राम (वयस्कों में) *

मध्यम खुराक (वयस्क)250 मिलीग्राम से 500 मिलीग्राम *

मध्यम खुराक (बच्चे)125 मिलीग्राम से 250 मिलीग्राम *

अधिकतम संभावित खुराक2000 मिलीग्राम **

* एक दिन में दो बार ** कुल दैनिक खुराक विभाजित मात्रा में

सेवन विधि

दवा लेने का उचित समय (कब लें?)ख़ाली पेट लें

दिन में कितनी बार लें?2 बार – सुबह और शाम

अनुपान (किस के साथ लें?)गुनगुने पानी या कच्ची लस्सी के साथ

उपचार की अवधि (कितने समय तक लें)कम से कम 3 महीने या चिकित्सक की सलाह लें

सावधानी और दुष्प्रभाव

हजरुल यहूद भस्म के दुष्प्रभावों और गर्भावस्था और स्तनपान में इसके उपयोग के बारे में  कोई प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। गर्भावस्था में हजरुल यहूद भस्म का उपयोग करने से परहेज करें और सुरक्षित रहें।

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